window.location = "http://www.yoururl.com"; Literature during Mughal Period. // मुग़लकालीन साहित्य

Literature during Mughal Period. // मुग़लकालीन साहित्य

बाबरनामा (तुजुक-एबाबरी) —  

यह बाबर की आत्मकथा है जिसे उसने तुर्की भाषा (Turkish language) में लिखा था।  बाद में इसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ –

  • सर्वप्रथम John Lyden और Eraskin ने इसका अंग्रेजी में अनुवाद 1810 ई0 में अब्दुल रहीम खानखाना के अनुवाद से किया। तत्पश्चात मैडम बैवरीज द्वारा इसका मूल तुर्की भाषा से अंग्रेजी अनुवाद किया गया|
  • अब्दुर्ररहीम खाना-खाना ने 1589-90 ई० में इसका फारसी भाषा अनुवाद किया|
  • इसका उर्दू अनुवाद मिजा नासिरुद्दीन हैदर ने 1924 (दिल्ली) में प्रकाशित किया|
  • दीवान (काव्यसंग्रह)- तुर्की भाषा में बाबर द्वारा लिखित।
  • रिसालउसज(खतबाबरी)- यह तुर्की भाषा में बाबर द्वारा लिखित।
  • मूबइयान(मुस्लिम कानून की पुस्तक)-यह पद्य शैली में तुर्की भाषा में बाबर द्वारा लिखित।
  •  

तारीखरशीदी

इसकी रचना मिर्जा मुहम्मद हैदर  ( बाबर का मौसेरा भाई) ने फारसी भाषा में की थी| इसमें उसने बाबर व हुमायूँ के समय की घटनाओं का वर्णन किया| तारीख-ए-रशीदी को दो भागों में लिखा| एक भाग में 1515-33 ई० तक के मध्य के समय की बाबर और हुमायूँ  जीवनकाल की  घटनाओं का उल्लेख किया तथा दूसरे भाग में 1541 ई० तक अपने जीवन की घटनाओं का वर्णन किया।

हुमायूँनामा

इसकी रचना बाबर की पुत्री  और हुमायुँ की बहन गुलबदन बेगम ने अकबर के निवेदन पर की थी| इस ग्रन्थ में हुमायूँ के जीवन की सफलताओं, विजय, पराजय और कठिनाईयों का वर्णन किया है|

तजकिरातउलवाकियात

इसकी रचना जौहर आफताबची (हुमायूँ का पुराना नौकर)ने अकबर के आदेश पर फारसी भाषा में की थी| जौहर आफताबची वर्षों तक हुमायूं की सेवा में रहा, इस कारण हुमायूँ के विषय में जानने के लिए यह ग्रन्थ प्रमाणिक माना जाता है|

वाकयात-ए-मुश्ताकी- फारसी भाषा में रिज्जकुल्लाह मुश्ताकी द्वारा लिखित।

तारीखदौलतशेरशाही —

इसकी रचना हसन अली खाँ ने फारसी भाषा में लिखा था| इससे शेरशाह के व्यक्तित्व, जीवन और शासन-प्रशासन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है|

तोहफाअकबरशाहीअब्बास खाँ सरवानी द्वारा फारसी भाषा में लिखित। इसकी रचना अब्बास खाँ सरवानी ने अकबर के आदेश पर की थी| इसमें शेरशाह के शासन का विस्तृत विवरण मिलता है|

नफाइस-उल-मासिर-मीर अलाद्दौला कजवीनी द्वारा फारसी भाषा में लिखा गया।

तारीख-ए-अल्फी-मुल्ला दाउद द्वारा फारसी भाषा में लिखा गया।

तारीखशेरशाही —

  •  अब्बास खाँ सरवानी ने अकबर के आदेश पर इस ग्रन्थ को फारसी में लिखा था | इससे शेरशाह के व्यक्तित्व, जीवन और शासन-प्रशासन आदि के बारे में जानकारी प्राप्त होती है| यह प्रसिद्ध ऐतिहासिक कृति 1588 ई. के पश्चात् में लिखी गई थी।
  • अब्बास ख़ाँ सरवानी द्वारा लिखित इस ग्रंथ में शेरशाह सूरी एवं मारवाड़ के शासक राव मालदेव के मध्य सन 1544 ई. में हुए गिरी सुमेल के युद्ध का वर्णन किया गया है। सरवानी इस युद्ध का प्रत्यक्षदर्शी था।
  • शेरखाह की राजस्थान में की गई कार्यवाहियों को लेखा देने वाला यह ग्रंथ काफ़ी महत्त्वपूर्ण है।

वाकियातमुश्ताकी —

इसकी रचना शेख रिजाकुल्ला मुश्ताकी द्वारा फारसी भाषा मेंमें लिखा था| इस ग्रन्थ में बहलोल लोदी से लेकर अकबर के शासन काल के मध्य भाग तक का वर्णन मिलता है।

तारीखदाउदी

अब्दुल्ला ने इस ग्रन्थ की रचना सम्भवतः जहाँगीर के शासनकाल में की जिसमें उसने शेरशाह के शासनकाल के बारे में विस्तृत वर्णन किया है।

अकबरनामा —

इस ग्रन्थ की रचना बादशाह अकबर के शासनकाल में अबुलफजल ने की थी| यह मुगलों  के इतिहास जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है। अबुल फजल का ‘अकबरनामा’ तीन जिल्दों में है। प्रथम जिल्द में अकबर के पूर्वजों, उसके आरंभिक जीवन एवं उसके शासनकाल के 17 वर्ष तक का वर्णन है। द्वितीय जिल्द में 17 से 46वें वर्ष तक का इतिहास है। तीसरी जिल्द आइने-अकबरी है, जो पृथक ग्रंथ माना जाता है। इस पुस्तक में उसने अकबर को ‘इंसाने-कामिल’ एवं ‘देवी प्रकाश’ की संज्ञा दी है। उसने अकबर की अत्यधिक प्रशंसा की है। अतः यह ग्रंथ निष्पक्ष नहीं कहा जा सकता। इस ग्रंथ की भाषा जटिल, आडम्बरपूर्ण एवं अलंकारिक है, किन्तु फिर भी यह अमूल्य ऐतिहासिक ग्रंथ है। सर्वप्रथम एच.बैवरिज ने इस ग्रंथ का अंग्रेजी में अनुवाद किया है। सैय्यद अतहर अब्बास रिजवी तथा डॉ॰ मथुरालाल शर्मा ने भी इसका अनुवाद दिया है। आइने-अकबरी अकबरनामा का तृतीय भाग है, तथापि इसे पृथक् ग्रंथ माना जाता है। इसमें अकबर के शासनकाल से सम्बन्धित आंकड़े तथा शासन-व्यवस्था सम्बन्धी अन्य नियमों का विस्तृत वर्णन है। अबुल फजल के इस ग्रंथ का ब्लोचमेन तथा गैरेट ने अंग्रेजी अनुवाद किया है। इससे तत्कालीन समय की राजनीतिक, सांस्कृतिक, साहित्यिक तथा आर्थिक स्थिति के बारे में विश्वसनीय जानकारी मिलती है।

तबकातअकबरी 

इस ग्रन्थ की रचना निजामुद्दीन अहमद ने की थी| यह तीन भागों में है| इसमें भारत में मुस्लिम शासन की स्थापना से लेकर बादशाह अकबर 39वें वर्ष तक के शासन का इतिहास दिया गया है|

तारीखबदायूँनी /मुन्तख-उल-तवारीख

 इसकी रचना अब्दुल कादिर बदायूँनी ने अकबर के शासनकाल में की थीजन्म: 1540 – मृत्यु: 1615) फ़ारसी भाषा के भारतीय इतिहासकार एवं अनुवादक रहे थे। बदायूँनी का जन्म सन् 1540 ई. में बदायूँ, भारत में हुआ था। अब्दुल क़ादिर भारत में मुग़लकालीन इतिहास के प्रमुखतम लेखकों में से एक थे। 1574 में बदायूंनी मुग़ल बादशाह अकबर के दरबार में पेश किए गए, जहाँ अकबर ने उन्हें धार्मिक कार्यों के लिए नियुक्त किया और पेंशन भी दी। अब्दुल क़ादिर बदायूंनी की मृत्यु 1615 में भारत में हुई थी। बादशाह द्वारा अधिकृत किए जाने पर बदांयूनी द्वारा लिखी गई बहुत सी कृतियों में सर्वाधिक सम्मानित कृति है- किताब अल हदीस (हदीस की किताब) है, जिसमें पैगंबर मुहम्मद के उपदेश हैं। यह पुस्तक आज मौजूद नहीं है। बदायूँनी ने कई अरबी और संस्कत ग्रन्थों का फारसी में अनुवाद किया। अब्दुल क़ादिर की सबसे महत्त्वपूर्ण किताब ‘मुंतख़ाब अत तवारीख़‘ थी जिसका चुनाव इतिहास से किया गया था, जिसे अक्सर तारीख़े बदायूंनी (बदायूंनी का इतिहास) भी कहा जाता है। बदायूॅंनी अकबर की धामिक सहिष्णुता की नीति का सबसे बडा विरोधी था और इसी पुस्तक में वह कहता है कि अकबर अब मुसलमान न होकर हिन्दू हो गया है। अकबर के धार्मिक नियमों की आलोचना किए जाने के कारण इस पुस्तक से विवाद का जन्म हुआ  अकबर के धार्मिक नियमों की आलोचना किए जाने के कारण इस पुस्तक से विवाद का जन्म हुआ।

तारीख-ए-बदायूँनी के तीन भाग है।

  1. प्रथम भाग में सुबुक्तगीन के समय से लेकर हुमायूं के शासन काल तक की घटनाओं का वर्णन है|
  2. द्वितीय भाग में 1594 ई० तक के अकबर के शासन की घटनाएँ है|
  3. तृतीय भाग में बदायूँनी ने समकालीन विद्वानों और संतों के जीवन के बारे में उल्लेख किया है।

तुजुकजहाँगीरी —

यह जहाँगीर की आत्मकथा है जिसमें उसने अपने सिंहासन पर बैठने से लेकर अपने शासन के 17वें वर्ष तक का वर्णन किया है| इसकी रचना फारसी भाषा में जहाँगीर, मौतमिद खां, मुहम्मद हादी ने मिलकर किया है। उसकी बीमारी के कारण मोतमिद खां ने इसे पूरा किया। इस ग्रंथ में हमें राजनीतिक घटनाओं के साथ-साथ तत्कालीन संगीत, साहित्य, चित्रकला तथा ललितकला के सम्बन्ध में भी जानकारी मिलती है।  तुजक -ए- जहाँगीरी का हिंदी अनुवाद  डॉक्टर  मथुरालाल शर्मा और “जहांगीरनामा”  नाम से मुन्शी देवीप्रसाद ने भी अनुवादित किया।

इकबालनामा —

  इसकी रचना मुतामिद खाँ ने की थी। यह तीन भागों में है –

  1. अमीर तैमूर के परिवार, बाबर तथा हुमायूँ के काल का इतिहास है|
  2.  द्वितीय भाग में बादशाह अकबर के समय का इतिहास है|
  3.  तृतीय भाग में जहाँगीर के काल का इतिहास है|

मआसिरेजहाँगीरीयह फारसी भाषा में ख्वाजा कामगार द्वारा रचित है।

पादशाहनामा

इसकी रचना अब्दुल हमीद लाहौरी  तथा मोहम्मद वारिस ने की थी।  ‘पादशाहनामा’ को मुग़ल बादशाह शाहजहाँ के शासन काल का प्रामाणिक इतिहास माना जाता है। इसमें शाहजहाँ का सम्पूर्ण वृतांत लिखा हुआ है।  इस कृति में शाहजहाँ के शासन के 20 वर्षों के इतिहास का उल्लेख मिलता है।  इसमें शाहजहाँ के शासन काल की सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक स्थिति पर भी प्रकाश डालती है।

मुन्तखाब-उल-लबाब  —

इस पुस्तक के लेखक खाफी खॉ है। इस ग्रन्थ का कार्य 1732 में सम्पन्न हुआ। इसे तारीख-ए-खाफी खॉ के नाम से भी जाना जाता है। यह ग्रन्थ तीन जिल्दों में विभक्त है। प्रथम जिल्द में स्थानीय राजवंशों के साथ लोदी राजवंश तक का इतिहास उल्लिखित है। द्वितीय जिल्द में शेरशाह के साथ अकबर के शासनकाल तक का इतिहास वर्णित है। तृतीय जिल्द में 1605 में अकबर की मृत्यु के बाद से 1732 तक के इतिहास का वर्णन है। यह ग्रन्थ गुरू गोविन्द सिंह और बन्दा बहादुर के काल का सिक्ख इतिहास जानने का बेहतर स्रोत है। इलियट और डाउसन की पुस्तक The History of India as told by its own Historians के सातवे खण्ड में इस पुस्तक का अंग्रेजी अनुवाद किया गया है।

नुसखादिलखुशा —

 इस ग्रंथ की रचना कायस्थ जाति के भीमसेन ने फारसी भाषा में की। वह औरंगजेब की सेना में क्लर्क था। उसने उसकी सेना के साथ कई युद्धों में भाग लिया था। मुगल सेना द्वारा पनहाला का दुर्ग घेरे जाने पर उसने सैनिक सेवा छोड़ दी तथा इस ग्रंथ की रचना शुरू की। इस ग्रंथ में वर्णित घटनाएं सत्य हैं। लेखक ने ऐतिहासिक व्यक्तियों के चरित्र का यथार्थता में चित्रण किया है। इस ग्रंथ में चापलूसी देखने को नहीं मिलती। अतः जे.एन. सरकार ने उसे महान संस्मरण लेखक माना है। दक्षिण भारत के इतिहास को जानने का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।

कानूनहुमायूंनी  —

इसके लेखक ख्वांद मीर थे| 1533 ई० में  इसे लिखना प्रारम्भ किया तथा 1534 ई० में पूरा किया।

  • अमलसालेहफारसी भाषा में मोहम्मद सालेह द्वारा रचित।
  • चहारचमनफारसी भाषा में चंद्रभान द्वारा रचित।
  • शाहजहाँनामा–फारसी भाषा में इनायत खाँ द्वारा रचित।
  • आलमगीरनामा-यह फारसी भाषा में काजिम शीराजी द्वारा रचित।
  • वाकयातआलमगीरीफारसी भाषा में आकिल खाँ द्वारा रचित।
  • फुतुहातआलमगीरीफारसी भाषा में ईश्वरदास नागर द्वारा रचित।
  • मासिरआलमगीरी–फारसी भाषा में साकी मुसतिद खाँ द्वारा रचित।

खुलासतउलतवारीखफारसी भाषा में सुरजनराय भंडारी द्वारा रचित। इसमें  महाभारत के पाण्डव से लेकर मुगल शासक औरंगजेब के समय तक के  इतिहास का वर्णन है।

  • मज्म-उल-बहरीन-फारसी भाषा में दाराशिकोह द्वारा रचित।
  • अहमद यादगार की तारीख-ए-शाही, मीर अलाउद्दौला|
  • कजवीनी की नफाइस-उल-मनासिर, मोहम्मद सालेह का अमल-ए-सालेह|
  • सादिक खाँ की तारीख-ए-शाहजहानी, ईसवरदास नागर की फतहात-ए-आलमगीरी|

अनूदित पुस्तकें-

  1. रज्मनामा(महाभारत के विभिन्न भागों का समकलन)- फारसी भाषा में बदायूँनी,नकीब खाँ एवं अब्दुल कादिर द्वारा किया गया।
  2. रामायण– इसका फारसी भाषा में संकलन अब्दुल कादिर बदायूँनी ने किया था।
  3. हितोपदेश – फारसी भाषा में अनुवाद ताजुल-माली ने “मुफर्रीह-उल-क़ुतुब” नाम से अकबर के शासनकाल में किया।
  4. पंचतंत्र – अकबर के शासनकाल में अनुवाद विभाग के अंतर्गत पंचतंत्र का फ़ारसी अनुवाद अबुल फज़ल और फ़ैज़ी दोनो ने किया था। अबुल फज़ल के अनुबाद का नाम “अनवर-ए-सुहैली” तथा फ़ैज़ी के अनुवाद का नाम “अयार-ए-दानिश” रखा गया।
  5. अथर्ववेद – इसका फारसी भाषा में संकलन हाजी इब्राहीम सरहिन्दी ने किया था।
  6. भागवत पुराण-फारसी भाषा में संकलन राजा टोडरमल ने किया था।
  7. भगवद् गीता- फारसी भाषा में संकलन दारा शिकोह ने किया था।
  8. योगवशिष्ठ – फारसी भाषा में दारा शिकोह द्वारा संकलित ।
  9. बावन उपनिषद(सिर्र-ए-अकबर) – फारसी भाषा में संकलन दारा शिकोह द्वारा।
  10. कालिया दमन(अयार-अ-दानिश)-फारसी भाषा में अबुल फजल ।
  11. राजतरंगिणी– फारसी भाषा में मौलाना शाह मुहम्मद शाहाबादी।
  12. लीलावती (गणित की पुस्तक)-फारसी भाषा में फैजी द्वारा।
  13. बाबरनामा – फारसी भाषा में अब्दुर्रहीम खानखाना एवं पायंदा खाँ द्वारा।
  14. तजक या तुजुक (ज्योतिष ग्रंथ) – फारसी भाषा में जहार-ए-जहन नाम से  मुकम्मल खाँ गुजराती द्वारा अनुवादित किया गया है।
  15. नल-दमयंती- फारसी भाषा में फैजी द्वारा अनुवादित।

अन्य महत्त्वपूर्ण तथ्य-

  • रामायण का बंगला भाषा में अनुवाद कृत्तिवास ने बारबकशाह के काल में किया। इसे बंगाल की बाइबिल  कहा गया है।
  • महाभारत का बंगला भाषा में प्रथम अनुवाद काशीरीम दास ने बंगाल के शासक नुसरत शाह के आदेश पर किया था।
  • मालधर बसु ने रुकनुद्दीन बारबकशाह के शासन काल में 1473ई. में श्रीकृष्ण – विजय (बंगला) में लिखना प्रारंभ किया। उसने सुल्तान हुसैनशाह (1493-1519ई.) की आज्ञा से भगवतगीता का बंगला में अनुवाद किया।सुल्तान हुसैनशाह ने उसे-गुणराज खान की उपाधि प्रदान की।
  • हुसैनशाह ने सेनापति परागल खाँ  परमेश्वर से,जो कवीन्द्र भी कहा जाता था, से महाभारत का बंगला भाषा में दूसरा अनुवाद कराया।
  • हुसैनशाह के ही काल में श्रीकर नंदी ने महाभारत के अश्वमेध – पर्व का बंगला में अनुवाद किया।
  • फतवा-ए-आलमगीरी (प्रसिद्ध मुस्लिम कानून की पुस्तक) ही एकमात्र ऐसी साहित्यिक रचना थी, जिसे औरंगजेब ने लिखने का स्वयं आदेश दिया था।उसके अतिरिक्त वह किसी भी इतिहास- लेखन के विरुद्ध था।

सन्दर्भ ग्रन्थ सूची

  1. दिनेश चन्द्र भारद्वाज : मध्यकालीन भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति, 1967
  2. लईक अहमद : भारतीय मध्यकालीन संस्कृति, शारदा पुस्तक भवन, 1968
  3. राजीव कुमार श्रीवास्तव : मध्यकालीन भारतीय समाज एवं संस्कृति, युनिवर्सिटी पब्लिकेशन, 2011
  4. हरिश्चन्द्र वर्मा : मध्यकालीन भारत (दो खण्ड), हि0 मा0 का0 नि0, नई दिल्ली
  5. वी0डी0 महाजन : मध्यकालीन भारत, एस0 चन्द एण्ड कम्पनी लि0, नई दिल्ली

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