window.location = "http://www.yoururl.com"; American Revolution, 1776. // अमेरिकी क्रांति

American Revolution, 1776. // अमेरिकी क्रांति

भूमिका -

विश्व इतिहास में आजतक जितनी भी क्रान्तियॉ हुई है उनमें से 1776 ई0 की अमेरिकी क्रान्ति सम्पूर्ण मानव इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक मानी जाती है। यद्यपि सभी क्रान्तियों के पीछे कुछ विशिष्ट कारणों के अतिरिक्त अन्य अनेक कारण भी होते है और इसी क्रम में उसका प्रभाव व महत्व भी बहुआयामी होता हैं। इस दृष्टि से देखने पर यह कहा जा सकता है कि अमेरिका की क्रान्ति निःसन्देह उपनिवेशों और मातृराज्यों के मौलिक मतभेदों के कारण हुई थी परन्तु वास्तव में अमेरिका का स्वतन्त्रता संग्राम ग्रेट ब्रिटेन और उपनिवेशों के बीच आर्थिक हितों का संघर्ष था और कई दृष्टियों से यह उस सामाजिक, आर्थिक तथा राजनीतिक व्यवस्था के विरूद्ध भी विद्रोह था जिसकी उपयोगिता अमेरिका में बहुत पहले समाप्त हो गई थी। यद्यपि अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम का प्रारम्भ 04 जुलाई 1776 ई0 को हुआ लेकिन जैसा कि John Adams ने कहा है कि – ‘‘ क्रान्ति का वास्तविक आरम्भ तो बहुत पहले ही हो चुका था और क्रान्ति तो लोगों के हृदय तथा मस्तिष्क में विद्यमान थी।‘‘

क्रांति के कारण –

संक्षेप में, इस क्रान्ति के प्रस्फुटन के लिए निम्न तत्वों को उत्तरदायी ठहराया जा सकता है –

दोषपूर्ण शासन व्यवस्था –

उपनिवेशों की शासन व्यवस्था के तीन प्रमुख अंग थे – 1. गवर्नर 2. गवर्नर की कार्यकारिणी समिति और 3. एसेम्बली। गवर्नर तथा उसकी कार्यकारिणी समिति तो सम्राट की अधीन थी लेकिन कानून निर्माण तथा कर लगाने सम्बन्धी अधिकार अप्रवासियों द्धार चुने हुए एसेम्बली के प्रतिनिधियों के हाथों में नीहित थी। ऐसी स्थिती में गवर्नर के लिए जनता के प्रतिनिधियों के कार्यो का विरोध करना अत्यन्त कठिन काम था। दूसरी तरफ एसेम्बली के सदस्य कार्यकारिणी पर नियंत्रण बनाये रखने के लिए गवर्नरों तथा जजों के वेतनों की धनराशी की मॉग को अस्वीकृत कर देते थे। यह रवैया ब्रिटिश सरकार को बुरा लगता था। इस प्रकार शासक और शासित दोनो पक्षों में एक दूसरे के प्रति असन्तोष की भावना थी और तनाव का माहौल व्याप्त था।

उपनिवेशों की स्वतंत्रता प्रेम और बौद्धिक चेतना का विकास –

अमेरिका के नागरिक अधिक स्वतन्त्रता प्रेमी थे। उनमें जीवन के स्थायीत्व के साथ-साथ बौद्धिक चेतना का भी विकास हुआ। बौद्धिक चेतना के विकास में शिक्षा, पत्रकारिता तथा दार्शनिकों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। लम्बे समय से स्वशासन के कारण अमेरिकावासियों में स्वतन्त्रता की भावना प्रबल हो चुकी थी और अमेरिकी उपनिवेशों में स्वतन्त्र वातावरण का निर्माण हो चुका था। 1776 ई0 में आरम्भ होने वाला अमेरिका का स्वतन्त्रता संग्राम कोई आकस्मिक घटना नहीं थी। अमेरिकी राष्ट्रपति थामस जैफर्सन के शब्दों में -‘‘अमेरिकी क्रान्ति का वास्तविक आरम्भ 1620 ई0 में ही हो चुका था जब वर्जिनिया को अपना प्रतिनिधि चुनने का अधिकार प्रदान किया गया था।‘‘
टामस पेन जैसे अनेक दार्शनिकों ने अपनी अपनी कृतियों के माध्यम से अपने देशवासियों में देशभक्ति की भावना भरने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। समाचार-पत्रों, पत्रकारिता, लेखों आदि के माध्यम से ब्रिटिश शासन की हर त्रुटि को उजागर किया गया। परिणामस्वरूप क्रान्ति की भावना प्रबल होती गयी।

सप्तवर्षीय युद्ध का प्रभाव –

सप्तवर्षीय युद्ध में फ्रान्स की पराजय और कनाडा पर ब्रिटेन का अधिकार हो जाने से अमेरिकावासियों में स्वतन्त्रता की भावना प्रबल होने लगी थी। अमेरिका पर से फ्रान्सीसी संकट के हटते ही अमेरिकावासियों ने ब्रिटेन के विरूद्ध अपने हितो ंकी रक्षा करने तथा स्वशासन की प्राप्ति के लिए संघर्ष करना प्रारम्भ कर दिया। इसके अतिरिक्त सप्तवर्षीय युद्ध में ब्रिटेन को अपने आर्थिक समस्याओं का समाधान ढूॅढना था क्योंकि उसका राष्ट्रीय ऋण बढ गया था लेकिन अमेरिका की जनता को ब्रिटेन की समस्याओं के प्रति कोई सहानुभूति नही थी क्योंकि उसकी दृष्टि में ब्रिटेन का उद्देश्य अपने आर्थिक हितों का समाधान ढूॅढना था। इस प्रकार पारस्परिक द्वेष की अग्नि प्रज्वलित होती गई जो 1776 ई0 में आते – आते विस्फोट कर गई।

ग्रेनविल के अनुचित कार्य –

सप्तवर्षीय युद्ध के समाप्त होने के तुरन्त बाद ब्रिटिश प्रधानमन्त्री ग्रेनविल ने अमेरिका स्थित ब्रिटिश उपनिवेशों के सम्बन्ध में कुछ नियम पारित किये जो अमेरिकी नागरिकों के हितों के प्रतिकूल थे। सबसे बढकर अमेरिकावासियों के सुरक्षा के नाम पर ग्रेनविल ने अमेरिका में एक छोटी सी सेना रखने की घोषणा की जिसके सम्पूर्ण व्यय का एक तिहाई धनराशि के भुगतान करने का आदेश अमेरिकीवासियों को दिया गया। अन्य नियमों के अनुसार मिसीसिपी के बडे-बडे प्रदेश त्मक प्दकपंदे के लिए सुरक्षित कर दिये गये। इस प्रकार ग्रेनविल के ये सभी कार्य अमेरिकावासियों की दृष्टि में इतने अपमानजनक थे कि वहॉ की जनता ने इसके विरोध में क्रान्ति का बिगुल बजा दिया।

तात्कालिक कारण –

तात्कालीन कारणों में हम Stamp Act 1765,  Import Duties Act 1767  तथा   Tea Act 1773  को रख सकते है। अमेरिकावासियों का मत था कि ब्रिटिश सरकार को उनके आन्तरिक मामलों में हस्तक्षेप करने का कोई अधिकार नही है लेकिन जब ब्रिटिश सरकार ने राज्य की आय को बढाने के उद्देश्य से 1765 ई0 में Stamp Act पारित किया, जिसके तहत सभी सरकारी दस्तावेजों तथा कानूनी कागजातों पर सरकार द्धारा निर्धारित शुल्क का टिकट लगाना अनिवार्य कर दिया गया तो समस्त अमेरिकनों ने एक स्वर में इसका जोरदार विरोध किया। विवश होकर ब्रिटिश सरकार को 1766 ई0 में इस अधिनियम को समाप्त करना पडा। Stamp Act की समाप्ति के बाद ब्रिटिश सरकार ने 1767 ई0 में Import Duties Act  पारित किया जिसके तहत् शीशा, कागज, रंग, चाय आदि वस्तुओं पर आयात कर लगा दिया गया। अमेरिकनों की दृष्टि में यह अधिनियम भी औपनिवेशिक स्वराज्य के मौलिक सिद्धान्तों के विपरित था। अतः स्वाभाविक रूप से इसका भी सर्वत्र विरोध किया गया। 1773 ई0 में ब्रिटिश सरकार ने एक अन्य नवीन चाय अधिनियम पारित किया। इसके द्धारा अमेरिका में चाय भेजने का प्रत्यक्ष अधिकार British East India Company को दे दिया गया। विरोधस्वरूप अमेरिकावासियो ने बोस्टन बन्दरगाह पर रूके हुए कुछ ब्रिटिश जहाजों में बलात् प्रवेश करके चाय के लगभग 350 डब्बों को समुद्र में फेंक दिया। अमेरिकनों के इन कारनामों से ब्रिटिश सरकार ने अपने आप को अपमानित महसूस कर सभी उपनिवेशों में मार्शल कानून लागू कर दिया।
ब्रिटिश सरकार की यह दमनात्मक कार्यवाही अमेरिकावासियों के अपमान का सूचक था। अतः 1774 ई0 में फिलाडेल्फिया में अमेरिका स्थित सभी ब्रिटिश उपनिवेशों की जनता ने एक विशाल जनसभा का आयोजन किया जिसमें शान्तिवार्ता के माध्यम से सभी समस्याओं का हल ढूॅढने का प्रयास किया गया। लेकिन ब्रिटिश सम्राट जार्ज तृतीय तथा ब्रिटिश प्रधानमन्त्री लार्ड नार्थ की हठधर्मी तथा अदूरदर्शीपूर्ण नीति के कारण शान्ति प्रक्रिया की सभी संभावनाएॅ घूमिल पड गई। जार्ज तृतीय ने वार्ता द्धारा समस्याओं को सुलझाने से इन्कार कर दिया और ब्रिटिश सेना को सतर्क रहने का आदेश दिया जिससे स्थिती और भी तनावपूर्ण हो गई। पुनः फिलाडेल्फिया में एक सभा की गई और 04 जुलाई 1776 ई0 को इस सभा ने सभी ब्रिटिश उपनिवेशों को मिलाकर संयुक्त राज्य अमेरिका के रूप में एक नवीन राष्ट्र की स्थापना तथा उसकी स्वतन्त्रता की घोषणा कर दी। परिणामस्वरूप जार्ज वाशिंगटन के नेतृत्व में अमेरिकी स्वतन्त्रता संग्राम का श्रीगणेश हुआ जो लगातार सात बर्षो तक चलता रहा और तत्पश्चात् 1783 ई0 की वार्साय सन्धि द्धारा संयुक्त राज्य अमेरिका को एक नवीन देश के रूप में मान्यता मिल गई।

Post a Comment

Previous Post Next Post