याहिया-बिन-अहमद सरहिन्दी -
मध्यकालीन भारत के इतिहास में याहिया-बिन-अहमद सरहिन्दी का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है। वह एक दरबारी इतिहासकार था जिसकी प्रसिद्ध पुस्तक का नाम ‘तारीख-ए-मुबारकशाही‘ है। याहिया-बिन-अहमद ने स्वयं ही दरबारी संरक्षण प्राप्त करने के उद्देश्य से अपनी पुस्तक तारीख-ए-मुबारकशाही द्धितीय सैय्यद सुल्तान मुबारकशाह को समर्पित की। दिल्ली सल्तनतकाल में सैय्यद वंश के शासकों ने 1414 ई0 से 1451 ई0 तक शासन किया। ‘तारीख-ए-मुबारकशाही‘ में मुहम्मद गोरी के समय से लेकर 1434 तक के दिल्ली दरबार का इतिहास नीहित है। डा0 हरवंश मुखिया के अनुसार -‘‘याहिया-बिन-अहमद ने 1428 ई0 तक का इतिहास अपनी पुस्तक में लिखा है।
डा0 सैय्यद अब्बास रिजवी ने तुगलक कालीन भारत भाग-2 में यह विचार व्यक्त किया है कि याहिया ने अपनी पुस्तक तारीख-ए-फिरोजशाही के प्रारम्भ में केवल 1438 ई0 तक का इतिहास लिखा है।
याहिया-बिन-अहमद सरहिन्दी ने अपनी पुस्तक की रचना में 1351 के पहले का इतिहास जियाउद्दीन बरनी, मिनहाज-उस-सिराज और अमीर खुसरो के ऐतिहासिक ग्रन्थों के आधार पर लिखा है। 1351 के बाद का इतिहास प्रत्यक्षदर्शियो के आधार पर व्यक्तिगत रूप से लिखा है लेकिन तृतीय भाग तुलनात्मक रूप से वृहद् है। याहिया ने तिथि क्रमानुसार इतिहास लिखा है जिसमें उसने प्रत्येक शासक के शासन काल का तिथि क्रमानुसार विवरण है एक शासक से सम्बन्धित विवरण एक अलग अध्याय में है और प्रत्येक अध्याय अपने आगे या पीछे लिखी अध्याय से सम्बद्ध नही है। याहिया के इतिहास लेखन से यह प्रतीत होता है कि उनके अनुसार इतिहास का सम्बन्ध मुख्यतः राजनीतिक घटनाओं से होता है। संभवतः इसलिए उसने गैर-राजनीतिक घटनाओं की उपेक्षा की है। उदाहरण के रूप में अलाउद्दीन के शासन काल का संक्षिप्त विवरण देते हुए उसने अलाउद्दीन खिलजी के आर्थिक सुधारों की कोई चर्चा नही की है। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि याहिया ने गलत ढंग से इतिहास की व्याख्या की है जिससे उसके इतिहास लेखन में घटनाओं अथवा व्यक्तियों का मूल्यांकन बहुत अधिक मिलता है। याहिया का मत था कि महान व्यक्तियों के दोषों को इंगित करना अनुचित है। याहिया-बिन अहमद एक इम्प्रिस्टिक इतिहासकार था और उसकी विषय वस्तु और इतिहास के प्रति उसका दृष्टिकोण बहुत हद तक मिनहाज-उस-सिराज से साम्य रखता है। सामान्यतया उसने पहले से जॉंचे हुए तथ्यों को ही स्वीकार कर लिया, स्वतः तथ्यों को जॉचने की पद्धती उसने नही अपनाई। इस प्रकार यह कहा जा सकता है कि याहिया-बिन-अहमद सरहिन्द एक वैज्ञानिक इतिहासकार नही है और वह उन इतिहासकारों की श्रेणियों में नही आता जो अपने इतिहास के माध्यम से कुछ नसीहत देना चाहते है।
जगदीश नारायण सरकार ने अपनी पुस्तक “Historians of Medieval India” से “personal history of same Medieval Historians and the writing” नामक लेख संकलित किया है जिसमें जगदीश नारायण सरकार ने यह मत व्यक्त किया है कि – याहिया-बिन-अहमद ने इतिहास की आध्यात्मकारी व्याख्या की है। दूसरे शब्दों में वे यह मानते है कि याहिया अहमद के अनुसार इतिहास की घटनाएॅ ईश्वर के द्धारा प्रेरित होकर घटती है। जैसे याहिया ने अपने इतिहास में लिखा है कि – मुहम्मद गोरी के समय से लेकर भारत में इस्लाम की विजय ईश्वर की कृपा का परिणाम है।
दूसरी तरफ हरवंश मुखिया याहिया-बिन-अहमद के इस विचार से सहमत नही है और उनका कहना है कि याहिया ने इन घटनाओं में आम ऐतिहासिक तथ्य का या अतिमानवीय शक्ति के भारतीयत्व को स्वीकार नही किया है। यद्यपि कि प्रत्येक विजय का वर्णन करने के उपरान्त वह लिखता है कि ईश्वर की कृपा से यह विजय प्राप्त है। लेकिन यहॉ उसका तात्पर्य इतिहास की आध्यात्मिक व्याख्या से नही है, घटनाओं का उल्लेख करते समय वह यही मानता है कि उसको घटित करने वाले कारण हमेशा मानवीय क्रियाओं से ही प्रेरित होते है।
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